अजीबो गरीब फैसले
तेरे देश में हो जाते है
ठग किसी तरह जाते है
लुटेरे डाकू लौट आते है
निराला ही है अंदाज़
तेरे वतन के लोगो का
खुद चुनते है नेता गलत
और फिर बाद में अपने
को ही गलियाते है
...........
रवि कुमार "रवि"
जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है वह नर नहीं,पशु निरा है,और मृतक समान है- राष्ट्रीय कवि श्री मैथिलीशरण गुप्तजी.
awesome Ravi- great work
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