Friday, February 24, 2012

शत्रु को समझायेंगे तब हम अपनी रक्त सनी शमसीर से


जब न बात बने अपनी 
पुचकार से, न तक़रीर से
शत्रु को समझायेंगे तब 
हम अपनी रक्त सनी शमसीर से 

है कोमल ह्रदय पर
नहीं है हम कायर कभी 
जो न सुधरे ये दुश्मन वतन के 
समझेंगे फिर मौत की तदबीर से 

नहीं है ये धमकी तुझे
शत्रु वतन के जान ले 
शमशीर उठा ली हमने जो भुजाओं में अपनी 
तो तू भागेगा फिर दिल्ली ओ कश्मीर से 
..............
रवि कुमार "रवि"

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